TRENDING:

Akshaya Tritiya Chalisa And Aarti: सगळं केलेलं निष्फळ ठरेल! आज अक्षय तृतीयेला या गोष्टींना विशेष महत्त्व

Last Updated:

Akshaya Tritiya Chalisa And Aarti: अक्षय तृतियेच्या दिवशी देवी लक्ष्मीची पूजा करताना आरती आणि चालीसा पठण करणे अत्यंत महत्त्वाचे मानले जाते. अन्यथा पूजा अपूर्ण मानली जाते. आरती आणि चालीसा जाणून घेऊ.

impactshort
इम्पॅक्ट शॉटतुमचा गेटवे लेटेस्ट न्यूज
advertisement
मुंबई : शास्त्रांमध्ये अक्षय तृतीयेचे विशेष महत्त्व आहे. वैदिक कॅलेंडरनुसार, अक्षय तृतिया दरवर्षी वैशाख महिन्याच्या शुक्ल पक्षाच्या तृतीयेला साजरी केली जाते. ही तिथी लक्ष्मीची कृपा मिळविण्यासाठी शुभ मानली जाते. या दिवशी संपूर्ण दिवस शुभ मुहूर्त असतो. लग्न, साखरपुडा इत्यादी कोणत्याही गोष्टी शुभ मुहूर्त न पाहता करता येतात. या दिवशी देवी लक्ष्मीची पूजा करताना आरती आणि चालीसा पठण करणे अत्यंत महत्त्वाचे मानले जाते. अन्यथा पूजा अपूर्ण मानली जाते. आरती आणि चालीसा जाणून घेऊ.
News18
News18
advertisement

लक्ष्मीची आरती (Laxmi Aarti):

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।

तुमको निस दिन सेवत हर-विष्णु-धाता॥ ॐ जय…

उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।

सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥

ॐ जय…

तुम पाताल-निरंजनि, सुख-सम्पत्ति-दाता।

जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि-धन पाता॥

ॐ जय…

तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता।

कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनि, भवनिधि की त्राता॥

advertisement

ॐ जय…

जिस घर तुम रहती, तहँ सब सद्गुण आता।

सब सम्भव हो जाता, मन नहिं घबराता॥

ॐ जय…

तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न हो पाता।

खान-पान का वैभव सब तुमसे आता॥

ॐ जय…

शुभ-गुण-मंदिर सुन्दर, क्षीरोदधि-जाता।

रत्न चतुर्दश तुम बिन कोई नहिं पाता॥

ॐ जय…

महालक्ष्मीजी की आरती, जो कई नर गाता।

advertisement

उर आनन्द समाता, पाप शमन हो जाता॥

ॐ जय

मां महालक्ष्मी जी की जय…

24 तासात अक्षय तृतियेला मालव्य आणि गजकेसरी राजयोग! या राशींचे भाग्य उजळणार

देवी लक्ष्मी चालीसा (Maa Laxmi Chalisa)

दोहा

मातु लक्ष्मी करि कृपा करो हृदय में वास।

मनोकामना सिद्ध कर पुरवहु मेरी आस॥

advertisement

सिंधु सुता विष्णुप्रिये नत शिर बारंबार।

ऋद्धि सिद्धि मंगलप्रदे नत शिर बारंबार॥ टेक॥

सोरठा

यही मोर अरदास, हाथ जोड़ विनती करूं।

सब विधि करौ सुवास, जय जननि जगदंबिका॥

॥ चौपाई ॥

सिन्धु सुता मैं सुमिरौं तोही। ज्ञान बुद्धि विद्या दो मोहि॥

तुम समान नहिं कोई उपकारी। सब विधि पुरबहु आस हमारी॥

advertisement

जै जै जगत जननि जगदम्बा। सबके तुमही हो स्वलम्बा॥

तुम ही हो घट घट के वासी। विनती यही हमारी खासी॥

जग जननी जय सिन्धु कुमारी। दीनन की तुम हो हितकारी॥

विनवौं नित्य तुमहिं महारानी। कृपा करौ जग जननि भवानी।

केहि विधि स्तुति करौं तिहारी। सुधि लीजै अपराध बिसारी॥

कृपा दृष्टि चितवो मम ओरी। जगत जननि विनती सुन मोरी॥

ज्ञान बुद्धि जय सुख की दाता। संकट हरो हमारी माता॥

क्षीर सिंधु जब विष्णु मथायो। चौदह रत्न सिंधु में पायो॥

चौदह रत्न में तुम सुखरासी। सेवा कियो प्रभुहिं बनि दासी॥

जब जब जन्म जहां प्रभु लीन्हा। रूप बदल तहं सेवा कीन्हा॥

स्वयं विष्णु जब नर तनु धारा। लीन्हेउ अवधपुरी अवतारा॥

तब तुम प्रकट जनकपुर माहीं। सेवा कियो हृदय पुलकाहीं॥

अपनायो तोहि अन्तर्यामी। विश्व विदित त्रिभुवन की स्वामी॥

तुम सब प्रबल शक्ति नहिं आनी। कहं तक महिमा कहौं बखानी॥

मन क्रम वचन करै सेवकाई। मन- इच्छित वांछित फल पाई॥

तजि छल कपट और चतुराई। पूजहिं विविध भांति मन लाई॥

और हाल मैं कहौं बुझाई। जो यह पाठ करे मन लाई॥

ताको कोई कष्ट न होई। मन इच्छित फल पावै फल सोई॥

त्राहि- त्राहि जय दुःख निवारिणी। त्रिविध ताप भव बंधन हारिणि॥

जो यह चालीसा पढ़े और पढ़ावे। इसे ध्यान लगाकर सुने सुनावै॥

ताको कोई न रोग सतावै। पुत्र आदि धन सम्पत्ति पावै।

पुत्र हीन और सम्पत्ति हीना। अन्धा बधिर कोढ़ी अति दीना॥

विप्र बोलाय कै पाठ करावै। शंका दिल में कभी न लावै॥

पाठ करावै दिन चालीसा। ता पर कृपा करैं गौरीसा॥

सुख सम्पत्ति बहुत सी पावै। कमी नहीं काहू की आवै॥

बारह मास करै जो पूजा। तेहि सम धन्य और नहिं दूजा॥

प्रतिदिन पाठ करै मन माहीं। उन सम कोई जग में नाहिं॥

बहु विधि क्या मैं करौं बड़ाई। लेय परीक्षा ध्यान लगाई॥

करि विश्वास करैं व्रत नेमा। होय सिद्ध उपजै उर प्रेमा॥

जय जय जय लक्ष्मी महारानी। सब में व्यापित जो गुण खानी॥

तुम्हरो तेज प्रबल जग माहीं। तुम सम कोउ दयाल कहूं नाहीं॥

मोहि अनाथ की सुधि अब लीजै। संकट काटि भक्ति मोहि दीजे॥

भूल चूक करी क्षमा हमारी। दर्शन दीजै दशा निहारी॥

बिन दरशन व्याकुल अधिकारी। तुमहिं अक्षत दुःख सहते भारी॥

नहिं मोहिं ज्ञान बुद्धि है तन में। सब जानत हो अपने मन में॥

रूप चतुर्भुज करके धारण। कष्ट मोर अब करहु निवारण॥

कहि प्रकार मैं करौं बड़ाई। ज्ञान बुद्धि मोहिं नहिं अधिकाई॥

रामदास अब कहाई पुकारी। करो दूर तुम विपति हमारी॥

दोहा

त्राहि त्राहि दुःख हारिणी हरो बेगि सब त्रास।

जयति जयति जय लक्ष्मी करो शत्रुन का नाश॥

रामदास धरि ध्यान नित विनय करत कर जोर।

मातु लक्ष्मी दास पर करहु दया की कोर॥

मे महिन्यात राहु-केतु, गुरुसहित 6 ग्रह रास बदलणार! या 5 राशींना फायदाच-फायदा

(सूचना : येथे दिलेली माहिती ज्योतिषीय ज्ञानावर आधारित आहे. याला कोणताही शास्त्रीय पुरावा नाही. न्यूज 18 मराठी त्याची हमी देत नाही.)

मराठी बातम्या/राशीभविष्य/
Akshaya Tritiya Chalisa And Aarti: सगळं केलेलं निष्फळ ठरेल! आज अक्षय तृतीयेला या गोष्टींना विशेष महत्त्व
बातम्या
फोटो
व्हिडिओ
लोकल