॥बुध चालीसा॥
॥ दोहा ॥
नमो नमो जय श्री बुध राजा। करहुं कृपा मोहि जानि कायर अधम का॥
करहुं कृपा कृपानिधि बुध सदा सहाय। रोग दोष दुख हरो अनाथ के नाथ॥
॥ चौपाई ॥
जयति जयति बुध देव दयाला। सदा करत जो सुकृत प्रतिपाला॥
जटा मुकुट सिर शोभित भारी। त्रिपुण्ड चंदन रेखा प्यारी॥
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गरल कनठ सर्प जग माला। नाग कंकन कर मंडित भाला॥
ब्रह्म रूप वर शुभ्र सरीरा। करत सदा जन कल्याण अधीरा॥
श्वेत कमल आसन मन भावा। संत करत सदा मंगल ध्यावा॥
कुंजल बिराजत छवि नयनी। अति मनोहर मंगल गुन खानी॥
काटत पातक पंक भरारा। बुध ग्रह दुष्ट नरक सँसारा॥
सुख सृखावत सब फल साता। रोग दोष संकट हरण विधाता॥
बुध की महिमा अपरंपारा। किया जानि मनुज दुख निवारा॥
लाख के वचन धरत दर साता। रोग हरण बुध दया विहाता॥
ग्रह अनिष्ट जो नर पर छाए। रोग दोष भय मिटै नहिं जाऐ॥
तिन्ह पर बुद्ध अनुग्रह होई। काटि दै सब संकट मोहे॥
जनम जनम के पातक भारी। काटि दै सब बुध मति तारी॥
सुर नर मुनि नित्य गुण गावे। यश गावत बुध सुख पावे॥
रोग दोष संकट सब हारी। धरहुं धीर बुध हरहु पाप भारी॥
नित नव मंगल करत सवारी। रोग दोष बुध हरहु भारी॥
अधम कायर मतिहीन हमारा। करहुं कृपा बुध हरो दुख सारा॥
सुख संपत्ति दै करहुं उपाई। जन मन रंजन मंगल लाई॥
बुध सुधी सील रूप सुहावा। संत ध्यावत मंगल भावा॥
विनय करौं बुध देव तुम्हारी। संकट हरो हे पातक भारी॥
अधम कायर सुबुद्धि सुधारा। करहुं कृपा हरो दुख सारा॥
महा संकट में तिन्हें उबारो। अधम कायर सुबुद्धि सुधारो॥
हरहुं पाप बुध महा विधाता। सुर नर मुनि सदा शुभ गाता॥
बुध की महिमा अपार पावे। अधम कायर सब संकट हरे॥
जयति जयति बुध देव सहाय। कृपा करहुं हरहुं सब भय॥
॥ दोहा ॥
नमो नमो जय बुध सुख कारी। दुख दारिद्र्य मिटाओ भारी॥
यह चालीसा बुध ग्रह का पाठ। करहुं कृपा बुध हरो सब कष्ट॥
|| इति संपूर्णंम् ||
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(सूचना : येथे दिलेली माहिती ज्योतिषीय ज्ञानावर आधारित आहे. याला कोणताही शास्त्रीय पुरावा नाही. न्यूज 18 मराठी त्याची हमी देत नाही.)
