Shanidev Mantra: शनिवारी या शनि मंत्रांचा जप लाभदायी! कर्मफळ दाता करेल मनोकामना पूर्ण

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Shanidev Mantra: हिंदू धार्मिक श्रद्धेनुसार शनिवारी शनिदेवाची पूजा केली जाते. शनिदेवाला कर्म फळदाता मानलं जातं. चुकीचं कर्म केलं तर एखाद्या राजाला देखील शनिदेव रंक बनवू शकतात, असे मानले जाते. शनीची वक्री दृष्टी कोणावर पडली तर त्याला खूप त्रास भोगावा लागतो. शनिदोष आणि शनीची साडेसातीदेखील माणसाला खूप त्रस्त करून सोडते. पंडित शक्ती जोशी यांच्या मते, आपले कर्म चांगले ठेवण्यासोबतच शनिवारी काही विशेष मंत्र आणि शनिदेवाची पूजा करून त्यांचे आशीर्वाद मिळवता येतात.
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शनिदेवाचे मंत्र - ओम निलान्जन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम। छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम॥ या मंत्राला शनिदेवाचा महामंत्र म्हणतात
शनिदेवाचे मंत्र - ओम निलान्जन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम। छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम॥ या मंत्राला शनिदेवाचा महामंत्र म्हणतात
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- ओम भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात् हा शनी गायत्री मंत्र - ओम प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः। शनिदेवाच्या या बीज मंत्राला शक्तिशाली मानलं जातं.
- ओम भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात् हा शनी गायत्री मंत्र - ओम प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः। शनिदेवाच्या या बीज मंत्राला शक्तिशाली मानलं जातं.
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- ध्वजिनी धामिनी चैव कंकाली कलहप्रिहा। कंकटी कलही चाउथ तुरंगी महिषी अजा।। शनैर्नामानि पत्नीनामेतानि संजपन् पुमान्। दुःखानि नाश्येन्नित्यं सौभाग्यमेधते सुखमं।। हिंदू धर्मात याला शनी आरोग्य मंत्र म्हटलं आहे.
- ध्वजिनी धामिनी चैव कंकाली कलहप्रिहा। कंकटी कलही चाउथ तुरंगी महिषी अजा।। शनैर्नामानि पत्नीनामेतानि संजपन् पुमान्। दुःखानि नाश्येन्नित्यं सौभाग्यमेधते सुखमं।। हिंदू धर्मात याला शनी आरोग्य मंत्र म्हटलं आहे.
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- ओम त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम। उर्वारुक मिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात।। ओम शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये शंयोरभिश्रवन्तु नः। ओम शं शनैश्चराय नमः।। शनी दोष निवारण मंत्र - जय-जय शनि देव
- ओम त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम। उर्वारुक मिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात।। ओम शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये शंयोरभिश्रवन्तु नः। ओम शं शनैश्चराय नमः।। शनी दोष निवारण मंत्र - जय-जय शनि देव
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शनी स्तुति पाठ - नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठ निभाय च। नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम:।। नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च। नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते।। नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम:। नमो दीर्घाय शुष्काय कालदंष्ट्र नमोऽस्तु ते।। नमस्ते कोटराक्षाय दुर्नरीक्ष्याय वै नम:। नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने।। नमस्ते सर्वभक्षाय बलीमुख नमोऽस्तु ते। सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करेऽभयदाय च।। अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तु ते। नमो मन्दगते तुभ्यं निस्त्रिंशाय नमोऽस्तुते।। तपसा दग्ध-देहाय नित्यं योगरताय च। नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम:।। ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज-सूनवे। तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात्।। देवासुरमनुष्याश्च सिद्ध-विद्याधरोरगा:। त्वया विलोकिता: सर्वे नाशं यान्ति समूलत:।। प्रसाद कुरु मे सौरे वारदो भव भास्करे। एवं स्तुतस्तदा सौरिर्ग्रहराजो महाबल:।। शनि देव की जय शनि देव की जय शनि देव की जय
शनी स्तुति पाठ - नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठ निभाय च। नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम:।। नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च। नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते।। नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम:। नमो दीर्घाय शुष्काय कालदंष्ट्र नमोऽस्तु ते।। नमस्ते कोटराक्षाय दुर्नरीक्ष्याय वै नम:। नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने।। नमस्ते सर्वभक्षाय बलीमुख नमोऽस्तु ते। सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करेऽभयदाय च।। अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तु ते। नमो मन्दगते तुभ्यं निस्त्रिंशाय नमोऽस्तुते।। तपसा दग्ध-देहाय नित्यं योगरताय च। नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम:।। ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज-सूनवे। तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात्।। देवासुरमनुष्याश्च सिद्ध-विद्याधरोरगा:। त्वया विलोकिता: सर्वे नाशं यान्ति समूलत:।। प्रसाद कुरु मे सौरे वारदो भव भास्करे। एवं स्तुतस्तदा सौरिर्ग्रहराजो महाबल:।। शनि देव की जय शनि देव की जय शनि देव की जय
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